भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का उभरता हुआ रक्षा साझेदार- पोम्पियो

 

अमेरिकी रक्षा मंत्री माइक पोम्पियो (फाइल फोटो)

इंडिया आइडियाज समिट में बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा, हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत अमेरिका का उभरता हुआ रक्षा साझेदार है। उन्होंने कहा, चीन में काम कर रही कई विदेशी कंपनियों को भारत अपने यहां लाने की भी क्षमता रखता है। खासतौर पर टेलीकॉम और स्वास्थ्य क्षेत्र की उत्पादन आपूर्ति शृंखलाएं इसमें शामिल है।

पोम्पियो ने कहा, दोनों देशों का साथ काम करना महत्वपूर्ण है। हम दुनिया के सबसे पुराने और समृद्ध लोकतंत्र हैं। आपसी सहयोग से अंतरराष्ट्रीय समृद्धि को आगे बढ़ाया जा सकता है। भारत ने अपनी नीतियों से अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों का भरोसा जीता है। उन्होंने कहा, पीएम नरेंद्र मोदी को जी-7 समिट का निमंत्रण दिया गया है। वहां उनके साथ अंतरराष्ट्रीय समृद्धि नेटवर्क को आगे बढ़ाने पर चर्चा होगी। समिट में अमेरिकी सीनेटर मार्क वार्नर भी थे।
भारत को निवेश के द्वार खोलने होंगे
पोम्पियो ने कहा, भारत को कारोबार का माहौल बनाना होगा और निवेश के लिए दरवाजे खोलने होंगे। ऐसा मुश्किल भी नहीं है क्योंकि वहां प्रतिभा और हुनर की कोई कमी नहीं है। भारत और अमेरिका के बीच कुशल उद्यम की अच्छी साझेदारी है और मुझे पूरा भरोसा है कि यह और मजबूत हो रही है।

भारत-अमेरिका बड़ा वैश्विक एजेंडा बनाने में सक्षम: जयशंकर

समिट को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, भारत और अमेरिका दुनिया के सामने वृहद वैश्विक एजेंडा तय करने में सक्षम हैं। इसके लिए अमेरिका को भारत के साथ कारोबारी रिश्तों के सभी लंबित मतभेदों को दूर करना होगा। उन्होंने कहा, अमेरिका को बहुपक्षीय दुनिया में अभी बहुत कुछ सीखना होगा। भारत और अमेरिका को कारोबारी दृष्टिकोण से कुछ बड़ा सोचने की जरूरत है। साथ ही जयशंकर ने कहा, भारत और अमेरिका के बीच कारोबार से भी बढ़कर एक रिश्ता है जिसे नॉलेज इनोवेशन (ज्ञान नवोन्मेष) कहा जा सकता है।

भारत-अमेरिकी भागीदारी शीर्ष तक पहुंचाने का वक्त

अमेरिका-भारत व्यापार परिषद की अध्यक्ष निशा बिस्वाल ने इस दौरान कहा, मौजूदा दौर भारत अमेरिकी भागीदारी की क्षमताओं को शीर्ष तक पहुंचाने का है। कोरोना महामारी के संकट में अंतरराष्ट्रीय और पारंपरिक गठबंधनों को परखने का वक्त है। इस समय तस्वीर साफ होगी कि कौन कितना बड़ा सहयोगी है। ऐसे में दोनों देशों के पास अपनी साझेदारी को एक नए मुकाम पर पहुंचाने का मौका है।

 

Related posts